अध्याय 1, श्लोक 4: दुर्योधन द्वारा पांडव सेना के महान योद्धाओं का वर्णन
अध्याय 1: विषाद योग
दुर्योधन
द्रोणाचार्य
पांडव सेना के योद्धाओं का परिचय
इस श्लोक में दुर्योधन पांडव सेना के कुछ प्रमुख योद्धाओं का परिचय देता है। वह विशेष रूप से उन योद्धाओं का उल्लेख करता है जो युद्ध कौशल में भीम और अर्जुन के समान माने जाते हैं। यह दुर्योधन की चिंता को और बढ़ाता है क्योंकि वह पांडव सेना की शक्ति को पहचान रहा है।
विस्तृत व्याख्या:
• अत्र शूरा महेष्वासा - यहाँ (इस सेना में) शूरवीर और महान धनुर्धर हैं। दुर्योधन पांडव सेना के योद्धाओं की वीरता और धनुर्विद्या में निपुणता को स्वीकार कर रहा है।
• भीमार्जुनसमा युधि - युद्ध में भीम और अर्जुन के समान। यह कथन दुर्योधन की मानसिक दशा को दर्शाता है कि वह भीम और अर्जुन को कितना शक्तिशाली मानता है।
• युयुधानो विराटश्च - युयुधान और विराट। युयुधान (सात्यकि) कृष्ण का सारथी और महान योद्धा था, जबकि विराट वह राजा था जिसके यहाँ पांडवों ने अज्ञातवास बिताया था।
• द्रुपदश्च महारथः - और महारथी द्रुपद। द्रुपद पांचाल देश का राजा और द्रौपदी का पिता था, जो एक महान योद्धा के रूप में प्रसिद्ध था।
मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण: दुर्योधन का यह वर्णन उसकी बढ़ती हुई चिंता और डर को दर्शाता है। वह न केवल भीम और अर्जुन जैसे शक्तिशाली योद्धाओं का सामना करने जा रहा है, बल्कि उनके समान शक्ति वाले अन्य योद्धाओं का भी। यह उसकी मानसिक तैयारी और युद्ध के प्रति गंभीरता को दर्शाता है।
यह श्लोक महाभारत युद्ध के पूर्व के उस क्षण को दर्शाता है जब दुर्योधन अपने गुरु द्रोणाचार्य को पांडव सेना की शक्ति से अवगत करा रहा है। उल्लेखित योद्धाओं में से प्रत्येक का अपना विशेष स्थान और महत्व है।
युयुधान (सात्यकि): यदुवंशी योद्धा और कृष्ण के सखा, जो अत्यंत कुशल रथी और धनुर्धर थे। उन्हें युद्ध कला में महारत हासिल थी।
विराट: मत्स्य देश के राजा, जिनके यहाँ पांडवों ने अपना अज्ञातवास बिताया। वह एक वीर और अनुभवी योद्धा थे जिन्होंने पांडवों का पूर्ण समर्थन किया।
द्रुपद: पांचाल देश के राजा और द्रौपदी के पिता। वह द्रोणाचार्य के बचपन के मित्र थे लेकिन बाद में उनके शत्रु बन गए। द्रुपद एक महान योद्धा और रणनीतिकार थे।
महारथी की परिभाषा: प्राचीन भारतीय युद्ध कला में 'महारथी' उस योद्धा को कहा जाता था जो एक साथ 10,000 सैनिकों का सामना कर सकता था और जिसे सभी प्रकार के अस्त्र-शस्त्रों में निपुणता प्राप्त हो।
यह श्लोक दुर्योधन के पांडव सेना के वर्णन की शुरुआत है। आगे के श्लोकों में वह और अधिक योद्धाओं का उल्लेख करता है।
श्लोक 3: दुर्योधन द्वारा पांडव सेना के सेनापति धृष्टद्युम्न का उल्लेख।
श्लोक 5: दुर्योधन द्वारा पांडव सेना के अन्य योद्धाओं - धृष्टकेतु, चेकितान आदि का वर्णन।
श्लोक 6: पांडव सेना के शेष प्रमुख योद्धाओं का परिचय।
श्लोक 7-9: दुर्योधन द्वारा अपनी सेना के योद्धाओं का परिचय।