भगवद गीता Quotes

भगवद गीता के प्रेरक उद्धरण और ज्ञानवर्धक quotes हिंदी में। जीवन बदलने वाले lessons पढ़ें और शेयर करें।

प्रेरणादायक उद्धरण

कर्म योग के उद्धरण

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥
श्लोक 2.47
अर्थ: तेरा कर्म करने में ही अधिकार है, फलों में कभी नहीं। इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत बन और तेरी कर्म न करने में भी आसक्ति न हो।
योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय। सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते॥
श्लोक 2.48
अर्थ: हे धनञ्जय! आसक्ति को त्यागकर योग में स्थित होकर कर्म कर, सिद्धि और असिद्धि में समान बुद्धिवाला होकर, उस समत्व को योग कहते हैं।

ज्ञान और विवेक के उद्धरण

न हि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते।
श्लोक 4.38
अर्थ: इस संसार में ज्ञान के समान पवित्र करने वाला और कुछ भी नहीं है।
व्यवसायात्मिका बुद्धिरेकेह कुरुनन्दन। बहुशाखा ह्यनन्ताश्च बुद्धयोऽव्यवसायिनाम्॥
श्लोक 2.41
अर्थ: हे कुरुनन्दन! इस लोक में निश्चयात्मिका बुद्धि तो एक ही है, किन्तु जो लोग व्यवसायरहित हैं, उनकी बुद्धियाँ अनन्त शाखाओं वाली हैं।

शांति और समत्व के उद्धरण

योगिनः कर्म कुर्वन्ति सङ्गं त्यक्त्वात्मशुद्धये।
श्लोक 5.11
अर्थ: योगीजन आत्मशुद्धि के लिए आसक्ति को त्यागकर कर्म करते हैं।
दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः। वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते॥
श्लोक 2.56
अर्थ: जिसके मन में दुःखों में उद्वेग नहीं होता, सुखों में जिसकी इच्छा नहीं रहती और जिसके राग, भय और क्रोध नष्ट हो गए हैं, ऐसा मुनि स्थिरबुद्धि कहलाता है।

भक्ति और समर्पण के उद्धरण

सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज। अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः॥
श्लोक 18.66
अर्थ: सब धर्मों को त्यागकर तू केवल मेरी ही शरण में आ जा, मैं तुझे समस्त पापों से मुक्त कर दूंगा, तू शोक मत कर।
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु। मामेवैष्यसि सत्यं ते प्रतिजाने प्रियोऽसि मे॥
श्लोक 18.65
अर्थ: तू मन से मेरे में स्थित रह, मेरा भक्त बन, मेरा पूजन कर, मुझे नमस्कार कर, इस प्रकार मुझमें स्थित होकर तू मुझे ही प्राप्त होगा, मैं तुझसे सत्य वचन कहता हूँ, क्योंकि तू मेरा प्रिय है।